





आज के इस तनावग्रस्त एवं कार्यव्यस्त दिनचर्या से युक्त मानव समाज में अधिकांश लोग या तो शारीरिक रूप से या मानसिक रूप से व्याधिग्रस्त हो जाते हैं। शारीरिक व्याधियों को तो औषध-पथ्य आदि द्वारा दुरूस्त किया जा सकता है, परन्तु शारीरिक व्याधियों से अलग भी अनेक प्रकार की व्याधियाँ लोगों में दृष्टिगोचर हो रही हैं। विभिन्न प्रकार की मानसिक व्याधियों हेतु लोग मनोरोग विशेषज्ञों के पास उपचार के लिए जाते हैं।
परन्तु क्या ऐसा भी कोई दिव्य उपचार सम्भव है जिसके द्वारा हम शारीरिक एवं मानसिक रोगों का भली-भाँति उपचार कर सकते हैं? यही इस पुस्तिका की विषय-वस्तु है। स्वामी विवेकानन्द के सबसे कम आयु वाले शिष्य स्वामी परमानन्द ने इस विषय का बड़ा ही विशद वर्णन प्रस्तुत किया है।
General
- AuthorSwami Paramananda
- TranslatorSwami Urukramananda