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H277 Adhunik Yuva-Varga Aur Swami Vivekananda (आधुनिक युवावर्ग और स्वामी विवेकानन्द)
H277 Adhunik Yuva-Varga Aur Swami Vivekananda (आधुनिक युवावर्ग और स्वामी विवेकानन्द)
H277 Adhunik Yuva-Varga Aur Swami Vivekananda (आधुनिक युवावर्ग और स्वामी विवेकानन्द)
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H277 Adhunik Yuva-Varga Aur Swami Vivekananda (आधुनिक युवावर्ग और स्वामी विवेकानन्द)

H277 Adhunik Yuva-Varga Aur Swami Vivekananda (आधुनिक युवावर्ग और स्वामी विवेकानन्द)

Non-returnable
Rs.20.00
Author
Swami Nikhileshwarananda
Compiler/Editor
N/A
Translator
N/A
Language
Hindi
Publisher
Ramakrishna Math, Nagpur
Binding
Paperback
Pages
52
ISBN
9789393251299
SKU
H277
Weight (In Kgs)
0.06
Quantity
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Product Details
Specifications

“स्वामी विवेकानन्द जैसे दुर्लभ देवमानव युग-युगान्तर में एकाध बार अवतीर्ण होते हैं। तब वे समग्र मानव जाति को एक नयी दिशा प्रदान कर उसका उद्धार साधित करते हैं। स्वामी विवेकानन्द ने समग्र विश्व की चिन्तनधारा को परिवर्तित कर दिया था। 

युवावस्था में मानवजीवन की अन्तर्निहित अनेकविध शक्तियाँ विकासोन्मुख होती हैं। संसार के राजनैतिक, सामाजिक या धार्मिक क्षेत्र में जो क्रान्तियाँ हुईं, उनका मूलस्रोत युवाशक्ति ही रही है। वर्तमान युग में हमारी मातृभूमि की दुर्दशा तथा आध्यात्म ज्ञान के अभाव से उत्पन्न समग्र मानवजाति की समस्याओं तथा चुनौतियों को देखकर जब परिव्राजक स्वामी विवेकानन्द व्यथित हृदय से इसका उपाय सोचने लगे, तो उन्हें यह स्पष्ट दृष्टिगोचर हुआ कि हमारे बलवान, बुद्धिमान, पवित्र एवं निःस्वार्थ युवकों द्वारा ही भारत एवं समस्त संसार का पुनरुत्थान होगा। उन्होंने गुरुगम्भीर स्वर से हमारे युवकों को ललकारा : “उठो! जागो! – शुभ घड़ी आ गयी है”, “उठो! जागो! तुम्हारी मातृभूमि तुम्हारा बलिदान चाहती है”, “उठो! जागो! सारा संसार तुम्हें आह्वान कर रहा है ! युवाशक्ति को प्रेरित करने के लिए स्वामीजी ने भारतवर्ष के विभिन्न प्रान्तों में जो तेजोदीप्त भाषण दिये, उन्हें पढ़ते हुए आज भी हृदय में स्वामी विवेकानन्द जैसे दुर्लभ देवमानव युग-युगान्तर में एकाध बार अवतीर्ण होते हैं। तब वे समग्र मानव जाति को एक नयी दिशा प्रदान कर उसका उद्धार साधित करते हैं। स्वामी विवेकानन्द ने समग्र विश्व की चिन्तनधारा को परिवर्तित कर दिया था। 

युवावस्था में मानवजीवन की अन्तर्निहित अनेकविध शक्तियाँ विकासोन्मुख होती हैं। संसार के राजनैतिक, सामाजिक या धार्मिक क्षेत्र में जो क्रान्तियाँ हुईं, उनका मूलस्रोत युवाशक्ति ही रही है। वर्तमान युग में हमारी मातृभूमि की दुर्दशा तथा अाध्यात्म ज्ञान के अभाव से उत्पन्न समग्र मानवजाति की समस्याओं तथा चुनौतियों को देखकर जब परिव्राजक स्वामी विवेकानन्द व्यथित हृदय से इसका उपाय सोचने लगे, तो उन्हें यह स्पष्ट दृष्टिगोचर हुआ कि हमारे बलवान, बुद्धिमान, पवित्र एवं निःस्वार्थ युवकों द्वारा ही भारत एवं समस्त संसार का पुनरुत्थान होगा। उन्होंने गुरुगम्भीर स्वर से हमारे युवकों को ललकारा : “उठो! जागो! – शुभ घड़ी आ गयी है”, “उठो! जागो! तुम्हारी मातृभूमि तुम्हारा बलिदान चाहती है”, “उठो! जागो! सारा संसार तुम्हें आह्वान कर रहा है ! युवाशक्ति को प्रेरित करने के लिए स्वामीजी ने भारतवर्ष के विभिन्न प्रान्तों में जो तेजोदीप्त भाषण दिये, उन्हें पढ़ते हुए आज भी हृदय में नवीन शक्ति और प्रेरणा का संचार होता है।”

General
  • Author
    Swami Nikhileshwarananda
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