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H226 Chatrapati Shivaji Maharaj (छत्रपति शिवाजी महाराज पर स्वामी विवेकानन्द के विचार)
H226 Chatrapati Shivaji Maharaj (छत्रपति शिवाजी महाराज पर स्वामी विवेकानन्द के विचार)
H226 Chatrapati Shivaji Maharaj (छत्रपति शिवाजी महाराज पर स्वामी विवेकानन्द के विचार)
H226 Chatrapati Shivaji Maharaj (छत्रपति शिवाजी महाराज पर स्वामी विवेकानन्द के विचार)
H226 Chatrapati Shivaji Maharaj (छत्रपति शिवाजी महाराज पर स्वामी विवेकानन्द के विचार)

H226 Chatrapati Shivaji Maharaj (छत्रपति शिवाजी महाराज पर स्वामी विवेकानन्द के विचार)

Non-returnable
Rs.20.00
Author
Dr M C Nanjunda Rao
Compiler/Editor
N/A
Translator
Swami Aatmananda
Language
Hindi
Publisher
Ramakrishna Math, Nagpur
Binding
Paperback
Pages
72
ISBN
9789385858697
SKU
H226
Weight (In Kgs)
0.075
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Product Details
Specifications
स्वामी विवेकानन्द को भारत से अत्यधिक प्रेम था; उनके समय में या भारतवर्ष में जन्म लिए महान् लोगों के प्रति उनके हृदय में महती श्रद्धा थी। अपने व्याख्यानों में वे उन व्यक्तियों का उल्लेख किया करते थे। महाराष्ट्र के उत्थान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तथा महाराष्ट्र के हिन्दू धर्म, आध्यात्मिकता व स्वाभिमान को पुनरुज्जीवित करने वाले छत्रपति शिवाजी, उनके गुरु समर्थ रामदास स्वामी और संत तुकाराम महाराज आदि अनेक सन्त-महात्माओं के चरित्र के घटनावली का उल्लेख उन्होंने अपने भाषणों में किया था। छत्रपति शिवाजी महाराज के विषय में स्वामीजी ने अपने जो महत्त्वपूर्ण व्यक्तव्य व्यक्त किये थे, उसको उनके एक प्रिय शिष्य डॉ. एम्. सी. नन्जुन्दा राव ने लिपिबद्ध किया था। वे विचार मूल अँग्रेजी में ‘वेदान्त-केसरी’ नामक मासिक  (ई.स.१९१४-१९१५) में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुए थे। लेखक से वार्तालाप के प्रसंग में स्वामीजी ने इतिहास के ऐसे कई महत्त्वपूर्ण पृष्ठों को उजागर किया है जो विदेशी इतिहासकारों के द्वारा अपने स्वार्थ की सिद्धि हेतु विकृत कर दिये गये थे। प्रस्तुत पुस्तक में स्वामीजी के द्वारा छत्रपति शिवाजी के जीवनवृत्त सम्बन्धी तथ्य एक नये रूप में हमारे समक्ष प्रस्तुत हुए हैं। इसमें स्वामीजी की इतिहास में गहरी पैठ दर्शनीय है। यही लेखमाला रामकृष्ण मिशन विवेकानन्द आश्रम, रायपुर द्वारा प्रकाशित हिन्दी मासिक पत्रिका ‘विवेक-ज्योति’ में धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुई थी। इस लेखमाला को हम पुस्तक रूप में प्रकाशित कर रहे हैं। शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व के विकास में उनकी माँ जीजाबाई का महत्त्वपूर्ण योगदान था, इसका केवल स्वामीजी ने निर्देश किया था। शिवाजी महाराज अपनी माँ तथा गुरु की आज्ञा का पालन करना अपना महान् कर्तव्य समझते थे।

General
  • Author
    Dr. M C Nanjunda Rao
  • Translator
    Swami Aatmananda
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