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H165 Swami Vivekananda Ka Maharashtra Bhraman (स्वामी विवेकानन्द का महाराष्ट्र-भ्रमण)

H165 Swami Vivekananda Ka Maharashtra Bhraman (स्वामी विवेकानन्द का महाराष्ट्र-भ्रमण)

Non-returnable
Rs.40.00
Author
Swami Videhatmananda
Compiler/Editor
N/A
Translator
N/A
Language
Hindi
Publisher
Ramakrishna Math, Nagpur
Binding
Paperback
Pages
150
ISBN
9789387784000
SKU
H165
Weight (In Kgs)
0.15
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Product Details
Specifications
भगवान श्रीरामकृष्ण देव के मार्गदर्शन तथा उनकी कृपा से एकमेवाद्वितीय परमात्मा का साक्षात्कार पाकर दैवी प्रतिभा से सम्पन्न नरेन्द्रनाथ एक ‘महामानव’ बन गये थे । १८९३ ई. में अमेरिका के शिकागो नगर में आयोजित सर्वधर्म-महासम्मेलन में ‘दिग्विजय’ प्राप्त करने के पूर्व स्वामी विवेकानन्द ने भारतवर्ष में पूर्व-पश्चिम तथा उत्तर-दक्षिण – सर्वत्र भ्रमण किया था । उस समय उन्होंने सम्पूर्ण भारत को अपने प्रज्ञाचक्षु से अवलोकन किया था । इन्हीं दिनों स्वामीजी ने महाराष्ट्र में भी भ्रमण किया था, एक अज्ञात संन्यासी के रूप में । तथापि वे अपने देदीप्यमान, असाधारण व्यक्तित्व को छिपाकर नहीं रह सके । श्रीरामकृष्ण द्वारा निर्धारित धर्म-जागरण तथा सामाजिक-प्रबोधन का कार्य उन्हें सम्पन्न करना था और इसे उन्होंने अपनी प्रव्रज्या के दिनों से ही प्रारम्भ कर दिया था । स्वामी विदेहात्मानन्द ने अनेक पुरानी पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं, कुछ लोगों के संस्मरणों तथा दैनन्दिनियों के आधार पर स्वामीजी के महाराष्ट्र में परिभ्रमण का सिलसिलेवार वृत्तान्त लिपिबद्ध किया है । इसका मराठी अनुवाद क्रमशः ‘जीवन-विकास’ मासिक के १९९३ के आठ अंकों में तथा ग्रन्थ रूप में प्रकाशित हुआ । बाद में यह हिन्दी मासिक ‘विवेक-ज्योति’ के भी जनवरी २००१ से जनवरी २००२ तक के तेरह अंकों में मुद्रित हुआ । वहीं से किंचित् परिवर्धन के साथ हम इसे हिन्दी पुस्तक के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं । प्रस्तुत पुस्तक में मुख्यतः स्वामी विवेकानन्द के महाराष्ट्र-परिभ्रमण का वर्णन होने के साथ ही अन्यत्र निवास करनेवाले कुछ ख्यातनामा महाराष्ट्रीय व्यक्तियों से उनकी भेंट का विवरण भी आ गया है । इस प्रकार परिव्राजक के रूप में महाराष्ट्र तथा अन्यत्र भ्रमण करते हुए स्वामी विवेकानन्द के बहुमुखी व्यक्तित्व का प्रभाव अनेक सुप्रसिद्ध मराठी देशभक्त, क्रान्तिकारी, समाजसुधारक, लेखक, सुविख्यात गायक तथा कलाकार लोगों पर कैसे पड़ा, इसका भी विवेचनात्मक इतिहास इसमें दृष्टिगोचर होगा । इनमें से बहुत-से तथ्य तथा घटनाएँ अब तक हिन्दी तथा अन्य भाषाओं में इस प्रकार क्रमबद्ध रूप से प्रकाशित नहीं हुई हैं और इसी कारण यह पुस्तक वैशिष्ट्यपूर्ण है ।
General
  • Author
    Swami Videhatmananda
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