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H143 Parivartanshil Samaj Ke Liye Shashwat Mulya - 1 (परिवर्तनशील समाज के लिए शाश्वत मूल्य खण्ड - 1)

H143 Parivartanshil Samaj Ke Liye Shashwat Mulya - 1 (परिवर्तनशील समाज के लिए शाश्वत मूल्य खण्ड - 1)

Non-returnable
Rs.117.00 Rs.130.00
Author
Swami Ranganathananda
Compiler/Editor
N/A
Translator
Dr. Krushna Murari
Language
Hindi
Publisher
Ramakrishna Math, Nagpur
Binding
Paperback
Pages
413
SKU
H143
Weight (In Kgs)
0.60
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Product Details
Specifications
रामकृष्ण मठ तथा रामकृष्ण मिशन के तेरहवें महाध्यक्ष श्रीमत् स्वामी रंगनाथानन्दजी महाराज के कुछ व्याख्यान तथा लेख इस ग्रन्थ में विषयानुसार ग्रथित किये हैं। हमारी भारतीय संस्कृति प्राचीन ऋषियों द्वारा उपलब्ध सनातन जीवन मूल्यों पर अधिष्ठित है। ये आध्यात्मिक जीवन-तत्त्व आधुनिक युग में भगवान श्रीरामकृष्णदेव, स्वामी विवेकानन्दजी तथा अन्य सन्त महात्माओं ने हमारे जीवन-विकास के लिए दिये हैं। श्रीमत् स्वामी रंगनाथानन्दजी महाराज ने अपने व्याख्यानों में उसी को उजागर किया है। ये व्याख्यान Eternal Values for a changing Society  नाम से चार खण्डों में प्रकाशित हुए थे। प्रस्तुत पुस्तक प्रथम खण्ड का हिन्दी अनुवाद है।

हम देखते हैं की स्वामी विवेकानन्दजी ने भारत के प्राचीन आध्यात्मिक मूल्यों को अक्षुण्ण रखते हुए समाजोपयोगी नये विचार सर्वत्र प्रसारित किए हैं। इतना ही नहीं किन्तु उन्होंने इसी बात पर विशेष बल दिया है कि इन शाश्वत मूल्यों के आधार पर ही यह परिवर्तनशील समाज सुदृढ, शक्तिशाली तथा प्रगतिशील बनेगा। स्वामीजी के मतानुसार आध्यात्मिकताही एक ऐसा प्रबल स्रोत है जो स्वयंही मनुष्य-जीवन का लक्ष्य – भगवत् प्राप्ति – की ओर निरन्तर बहता रहता है। और वह भी सामाजिक तथा अन्य स्तरों पर कार्यरत रह कर। इन्ही विचारों को लेकर सामाजिक, राजकीय, आर्थिक तथा आध्यात्मिक समस्याओं को हल करने के उपाय इस ग्रन्थ में पाठकों को प्राप्त होंगे।

स्वामी रंगनाथानन्दजी महाराज ने अपने ओजस्वी तथा स्फूर्तिदायी वक्तृता से भारतीय सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक विचारधन, जो अपने शास्त्रग्रन्थों में निहित है, उसे आधुनिक विज्ञान तथा तन्त्रशास्त्र के साथ सामंजस्य कर जगत के सामने प्रकाशित किया हैं। स्वामी रंगनाथानन्दजी द्वारा वितरित यह विचार धन अबतक केवल अंग्रेजी भाषा में ही प्राप्त था अब इस ग्रन्थ के द्वारा हिन्दी पाठकों को भी लाभ मिलेगा।
General
  • Author
    Swami Ranganathananda
  • Translator
    Dr. Krushna Murari
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