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Sadhakon Ke Nam Patra (साधकों के नाम पत्र - स्वामी तुरीयानन्द के आध्यात्मिक पत्रों का संकलन )
Sadhakon Ke Nam Patra (साधकों के नाम पत्र - स्वामी तुरीयानन्द के आध्यात्मिक पत्रों का संकलन )
H120 Sadhakon Ke Nam Patra (साधकों के नाम पत्र - स्वामी तुरीयानन्द के आध्यात्मिक पत्रों का संकलन )
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H120 Sadhakon Ke Nam Patra (साधकों के नाम पत्र - स्वामी तुरीयानन्द के आध्यात्मिक पत्रों का संकलन )

H120 Sadhakon Ke Nam Patra (साधकों के नाम पत्र - स्वामी तुरीयानन्द के आध्यात्मिक पत्रों का संकलन )

Non-returnable
Rs.30.00
Author
Swami Turiyananda
Language
Hindi
Publisher
Ramakrishna Math, Nagpur
Binding
Paperback
Pages
223
SKU
H120
Weight (In Kgs)
0.17
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Product Details
Specifications
"भगवान श्रीरामकृष्णदेव के एक प्रमुख शिष्य स्वामी तुरीयानन्द (१८६३-१९२२ ई.) त्याग, तपस्या तथा ब्रह्मविद्या के एक जीवन्त विग्रह थे। स्वामी विवेकानन्द ने धर्म के जिन उदात्त तथा सार्वभौमिक सिद्धान्तों का अमेरिका में प्रचार किया था, उन्हीं का व्यावहारिक रूप दिखाने के लिए अपनी द्वितीय पाश्चात्य यात्रा के समय १८९९ ई. में वे स्वामी तुरीयानन्द को भी अपने साथ ले गये थे। अमेरिका में उन्हें धर्मप्रचार के कार्य में नियोजित करते हुए स्वामीजी ने कहा था, “हरिभाई! जीवन दिखाओ।” वहाँ दो-तीन वर्ष कार्य करने के पश्चात् स्वामी तुरीयानन्द वापस भारत लौट आए और शेष जीवन मुख्यतः तपस्या तथा शास्त्रचर्चा में ही बिताया।



ऐसे महापुरुष की जीवनी तथा वाणी साधकजन के लिए विशेष उपयोगी तथा प्रेरणादायी है। उनके जीवन की एक संक्षिप्त रूपरेखा इस पुस्तक के प्रारम्भ में दी गयी है। उनकी एक अन्य जीवनी “श्रीरामकृष्ण-भक्तमालिका” ग्रन्थ के प्रथम खण्ड में प्रकाशित हुई। उनके व्याख्यान तथा लेखादि सम्भवतः दो-चार ही उपलब्ध होंगे। धर्म सम्बन्धी उनके वार्तालाप कुछ अनुरागी भक्तों की डायरियों में संरक्षित होकर प्रकाशित हुए हैं, जिनका हिन्दी अनुवाद ‘अध्यात्ममार्गप्रदीप’ नामक पुस्तक के रूप में हमने प्रकाशित किया है। अँग्रेजी तथा बँगला में उनके लिखे हुए कोई सवा दो सौ पत्र उपलब्ध हैं, जो उनके अपने अनुभव तथा अनुभूतियों पर आधारित होने के कारण अत्यन्त ज्ञानगर्भित तथा विशेष मूल्यवान हैं। उनमें से साधकों के लिए उपयोगी १५१पत्रों का संकलन तथा अनुवाद है।"


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  • Author
    Swami Turiyananda
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