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H071 Atma Tattva (आत्मतत्त्व :स्वामी विवेकानन्द)

H071 Atma Tattva (आत्मतत्त्व :स्वामी विवेकानन्द)

Non-returnable
Rs.15.00
Author
Swami Vivekananda
Compiler/Editor
N/A
Translator
N/A
Language
Hindi
Publisher
Ramakrishna Math, Nagpur
Binding
Paperback
Pages
15
ISBN
9789383751587
SKU
H071
Weight (In Kgs)
0.06
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Product Details
Specifications
‘आत्मा’, ‘आत्मा : उसके बन्धन तथा मुक्ति’, ‘आत्मा, प्रकृति तथा ईश्वर’, ‘आत्मा का स्वरूप और लक्ष्य’ आदि पुस्तक के विभिन्न अध्यायों में स्वामीजी ने आत्मा के स्वरूप, उसके बन्धन तथा मुक्ति का विवेचन किया है। स्वामीजी का कथन है — ‘आत्मानुभूति ही वस्तुत: धर्म है।’ अत: आत्मा के स्वरूप का ज्ञान प्राप्त कर उसकी प्रत्यक्ष उपलब्धि के द्वारा अज्ञान के बन्धनों से मुक्त होना ही मानव-जीवन का चरम लक्ष्य है। आत्मस्वरूप की मीमांसा करनेवाले तीन मत्त — द्वैत, विशिष्टाद्वैत और अद्वैत का विश्लेषण कर स्वामीजी ने इस पुस्तक में स्पष्टत: दर्शा दिया है कि ये तीनों मत परस्पर विरोधी नहीं, अपितु परस्पर पूरक हैं। स्वामीजी ने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला है कि आत्मानुभूति प्राप्त करने के लिए बाह्य और आन्तर प्रकृति पर विजय प्राप्त करना आवश्यक हैं तथा यह विजय-लाभ वासना-त्याग एवं अन्त:शुद्धि के बिना सम्भव नहीं। मानव-जीवन के सफल होने के लिए तथा सच्चे सुख एवं शान्ति का अधिकारी बनने के लिए आत्मतत्त्व का ज्ञान प्राप्त करना अनिवार्यतया आवश्यक है और इसीलिए इस पुस्तक में स्वामीजी ने जो मार्गदर्शन कराया है वह सभी के लिए निश्चयरूपेण श्रेयस्कर है।
General
  • Author
    Swami Vivekananda
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