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स्वामी विवेकानन्द ने भारत के पुनरुत्थान तथा विश्व के उद्धार के लिए जो महान् कार्य किया, वह सभी को विदित है। वे चैतन्य एवं ओजशक्ति की सजीव मूर्ति थे। उनका दिव्य व्यक्तित्व उनकी वाणी में प्रकट होता है। उनकी प्रतिभा सर्वतोमुखी थी। अत: उनके श्रीमुख से समय-समय पर जो सूक्तियाँ और सुभाषित प्रकट हुए हैं, वे सब अत्यन्त सारगर्भित, उद्बोधक तथा स्फूर्तिदायक हैं एवं अन्यत्र न पाये जाने वाले अनेक मौलिक विचारों से परिपूर्ण होने के नाते ये ‘सूक्तियाँ एवं सुभाषित’ विवेकानन्द-साहित्य में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखते है। धर्म, संस्कृति, समाज, शिक्षा प्रभृति सभी महत्त्वपूर्ण विषयों से सम्बन्धित ये मौलिक विचार जीवन को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। उच्चतम आध्यात्मिक अनुभूति पर आधारित ये विचार व्यक्तिगत जीवन और सामूहिक कार्यों में उचित परिवर्तन के निमित्त तथा जीवन के सर्वांगीण विकास के हेतु निश्चित ही विशेष हितकारी सिद्ध होंगे।
General
- AuthorSwami Vivekananda
- Compiler/EditorCompilation