










H052 Anandadham ki Or (आनन्दधाम की ओर : धर्म-प्रसंग में स्वामी शिवानन्द)
भगवान श्रीरामकृष्ण देव के अन्यतम लीलासहचर स्वामी शिवानन्दजी महाराज के अमृतमय उपदेशों को पुस्तकाकार में पाठकों के समक्ष रखते हुए हमें बड़ी प्रसन्नता हो रही है। विभिन्न समयों में जनसाधारण के कल्याणार्थ तथा भक्तों के प्रश्नों के उत्तर में उन्होंने जो उपदेश प्रदान किए थे, वे ही त्यागी और गृही भक्तों की डायरी से संग्रहित कर इस पुस्तक में ग्रथित हुए हैं। जब से स्वामी शिवानन्दजी ने श्रीरामकृष्ण मठ और मिशन के अध्यक्ष-पद पर अधिष्ठित हो उक्त संघ के कार्यभार को सँभाला, तब से उनके पास दिन से लेकर रात तक सब समय — विशेषकर छुट्टी के दिनों में — जिज्ञासुओं, भक्तों तथा मुमुक्षुओं का ताँता लगा रहता था। कोई संसार-ज्वाला से जला हुआ अपने तापों को शीतल करने उनके पास आता, कोई देश और जन सेवा की भावना लिए तत्सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कराने आता, तो कोई आध्यात्मिक पथ की कठिनाईयों में उलझकर साधन-भजन, कर्म एवं उपासना सम्बन्धी रहस्यों के आलोक में उन्हें सुलझाने आता। और वे आत्ममग्न महापुरुष इतनी आत्मीयता के साथ उन सब समस्याओं का समाधान करते कि उन लोगों के मन का भार तत्क्षण हलका हो जाता और वे लोग उन उपदेशों का अपने जीवन में बड़ा प्रभाव अनुभव करते।
General
- AuthorSwami Apurvananda
- TranslatorSri Prithvinath Shastri & Pt. Vrajanandan Mishra