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H041 Jnyana Yoga (ज्ञानयोग)

H041 Jnyana Yoga (ज्ञानयोग)

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Rs.72.00 Rs.80.00
Author
Swami Vivekananda
Compiler/Editor
N/A
Translator
Sri Brahmendra Sharma
Language
Hindi
Publisher
Ramakrishna Math, Nagpur
Binding
Paperback
Pages
286
ISBN
9789384883584
SKU
H041
Weight (In Kgs)
0.225
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Product Details
Specifications
प्रस्तुत संस्करण में, मूल अंग्रेजी ‘ज्ञानयोग’ का अनुसरण करते हुए, ‘धर्म की आवश्यकता’, ‘आत्मा’, और ‘आत्मा : उसके बन्धन तथा मुक्ति’ ये तीन व्याख्यान जोड़ दिये गये हैं। ये तीनों व्याख्यान अद्वैत आश्रम, मायावती द्वारा प्रकाशित ‘विवेकानन्द साहित्य’ में से संकलित किये गये हैं। इन व्याख्यानों में श्री स्वामीजी ने वेदान्त के गूढ़ तत्त्वों की ऐसे सरल, स्पष्ट तथा सुन्दर रूप से विवेचना की है कि आजकल के शिक्षित जनसमुदाय को ये खूब जँच जाते हैं। उन्होंने यह दर्शाया है कि वैयक्तिक तथा सामुदायिक जीवन-गठन में वेदान्त किस प्रकार सहायक होता है। मनुष्य के विचारों का उच्चतम स्तर वेदान्त है और इसी की ओर संसार की समस्त विचारधाराएँ शनै: शनै: प्रवाहित हो रही हैं। अन्त में वे सब वेदान्त में ही लीन होंगी। स्वामीजी ने यह भी दर्शाया है कि मनुष्य के दैवी स्वरूप पर वेदान्त कितना ज़ोर देता है और किस प्रकार इसी में समस्त विश्व की आशा, कल्याण एवं शान्ति निहित है।
General
  • Translator
    Sri Brahmendra Sharma
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