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H005 Vivekanandaji Ke Sannidhy Mein (विवेकानन्दजी के सान्निध्य में)

H005 Vivekanandaji Ke Sannidhy Mein (विवेकानन्दजी के सान्निध्य में)

Non-returnable
Rs.20.00
Author
N/A
Compiler/Editor
N/A
Translator
Sri Harivallabha Joshi
Language
Hindi
Publisher
Ramakrishna Math, Nagpur
Binding
Paperback
Pages
74
ISBN
9789353180720
SKU
H005
Weight (In Kgs)
0.075
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Product Details
Specifications
स्वामी विवेकानन्दजी का उनके शिष्यों के साथ तथा विभिन्न व्यक्तियों के साथ समय-समय पर विभिन्न महत्त्वपूर्ण विषयों पर वार्तालाप होता था। प्रस्तुत पुस्तक में जो सम्भाषण संकलित किये गये हैं, वे ऐसे व्यक्तियों द्वारा लिखे गये हैं जो स्वामीजी के सान्निध्य में आये थे। ये वार्तालाप धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक आदि विभिन्न विषयों पर हुए थे और उनके द्वारा हमें स्वामीजी के उद्बोधक तथा स्फूर्तिदायी विचारों की जानकारी प्राप्त होती है। हमारे देश का पुनरुत्थान किस प्रकार हो सकता है तथा वह फिर से अपने प्राचीन गौरव का स्थान कैसे प्राप्त कर सकता है, इसका भी दिग्दर्शन स्वामीजी ने अपनी ओजपूर्ण वाणी में इन सम्भाषणों में किया है। राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए व्यक्ति का पुनर्निर्माण पहले होना चाहिए — व्यक्तित्व का विकास होना चाहिए। इस सत्य का भी यथार्थ ज्ञान हमें इन सम्भाषणों से होता है।
General
  • Translator
    Sri Harivallabha Joshi
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