














H276 Swami Vivekananda: Dharmik Tatha Darshanik Vyakhyan (धार्मिक तथा दार्शनिक व्याख्यान)
“स्वामी विवेकानन्द के गहन और व्यवस्थित अध्ययन हेतु अँग्रेजी भाषा में तीन प्रकाशन सामने आए हैं। पहला प्रकाशन स्वामीजी के चार योगों से सम्बन्धित है। दूसरे प्रकाशन में स्वामीजी के राष्ट्रवादी विचारों को संकलित एवं व्यवस्थित किया गया है। इस अध्ययन श्रृंखला का तीसरा पुष्प स्वामीजी के दार्शनिक और धार्मिक विचारों से सम्बन्धित है। इन दोनों प्रकाशनों का िहन्दी अनुवाद सम्पन्न किया जा चुका है। यह प्रकाशन स्वामी विवेकानन्द के दार्शनिक और धार्मिक व्याख्यानों का एक व्यवस्थित संकलन हैं।
इस संकलन की विशेषता यह है कि पुस्तक का प्रत्येक भाग वेदान्त दर्शन के सैद्धान्तिक और साधनात्मक पक्ष पर प्रकाश डालता है और आधुनिक जीवन की परिवर्तित परिस्थितियों में उनकी व्यावहारिक उपयोगिता को भी सिद्ध करता है। भारतीय सन्दर्भों में धर्म, दर्शन, अध्यात्म और संस्कृति के बीच ऐसा विभेद और विभाजन नहीं है जैसा पाश्चात्य शैली से प्रभावित कुछ भारतीय विचारक सिद्ध करने का प्रयास करते हैं।
स्वामी विवेकानन्द के सभी व्याख्यानों में सार्वभौमिक आध्यात्मिक आदर्शों में तार्किक और वैज्ञानिक आधार प्राप्त होता है। धर्म की दृष्टि इतनी व्यापक और वैज्ञानिक है जो किसी भी धर्म और सम्प्रदाय की मूलभूत श्रद्धा की विरोधी नहीं है। इतना ही नहीं वरन् हर धर्म, और राष्ट्र अपनी आध्यात्मिक अभीप्सा को महान् और विशाल “बना सकता है। अस्तित्व के साथ एकत्व की अनुभूति वेदान्त दर्शन का अंतिम लक्ष्य है और हर व्याख्यान में परिलक्षित होती है। यही जीवन पद्धति का आशय और प्रयोजन है, तथा धर्म का संदेश भी यही है। अस्तित्व की सभी समस्याएँ समरसता की समस्याएँ हैं।
General
- AuthorSwami Tapasyananda
- TranslatorDr. Sureshachandra Sharma