




Product Details
Specifications
रामकृष्ण मठ, नागपुर द्वारा प्रकाशित मराठी मासिक पत्रिका ‘जीवन-विकास’ के भूतपूर्व सम्पादक स्वामी शिवतत्त्वानन्दजी ने उक्त पत्रिका के लिए ‘भगवद्गीता’ पर जो लेख लिखे थे, उनका पुस्तक के रूप में संकलन भी हमारे मठ से ‘भगवद्गीतेच्या अन्तरंगात’ नाम से प्रकाशित हुआ था। इसमें प्राप्त सहज परन्तु सूक्ष्म तत्त्व-विवेचन के कारण यह पुस्तक अत्यन्त लोकप्रिय हुई। भगवान द्वारा अर्जुन के लिए कही गयी ‘गीता’ में यथार्थ ‘जीवन-दर्शन’ है, सर्वांगपूर्ण जीवन-गठन के लिए यह एक आदर्श ‘शास्त्र’ है । आत्मज्ञान मानव-जीवन का आन्तम ध्येय है और उसकी उपलब्धि के लिए आवश्यक जो साधना है, प्रस्तुत पुस्तक में उसी का मूलभूत विवेचन किया गया है ।
General
- AuthorSwami Shivatattwananda
- TranslatorSau Jyotsana Kirwai