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स्वामी रंगनाथानन्दजी ने श्रीनगर के महिला विश्वविद्यालय में ‘Women in Modern Age’ इस विषय पर जो व्याख्यान दिये थे, प्रस्तुत पुस्तक उसी का हिन्दी अनुवाद है। नारी मुक्ति आन्दोलन, नारी-पुरुष समानता, आधुनिक स्त्रियों की ज्ञान की खोज आदि विचार तथा भावनाएँ विदेशों में तथा भारत में बहुत वर्षों से अभिव्यक्त हो रही हैं। स्वामी रंगनाथानन्दजी ने इन विवाद्य विषयों पर भारतीय संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में प्रकाश डाला है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है – “हमारे प्राचीन मिथक और हमारे आधुनिक विचार दोनों ही इस बात को स्वीकार करते हैं कि स्त्रियाँ पुरुषों के समकक्ष है।” स्वामी विवेकानन्दजी के मानवतावादी दृष्टिकोण में वैज्ञानिक दृष्टि से शिक्षित हमारे राष्ट्र की मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जाएँ अभिव्यक्त होकर हमारे देश में पूर्ण लोकतान्त्रिक और अहिंसक सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था का विकास होगा, ऐसी उम्मीद स्वामी रंगनाथानन्दजी ने अपने व्याख्यानों में की है। हमारे राष्ट्र के उत्थान के लिए राष्ट्र के नागरिकों – पुरुष तथा नारी दोनों को समान शिक्षा, समान अधिकार और समान अवसर प्राप्त होने चाहिए।
General
- AuthorSwami Ranganathananda
- TranslatorSri Durgesha Kumar Sharma