




श्रीरामकृष्णदेव के अन्तरंग लीलासहचर स्वामी शिवानन्दजी का जीवन शुद्ध अद्वैत ज्ञान एवं अद्वैत भक्ति का अति उज्ज्वल उदाहरणस्वरूप था। अपूर्व त्याग, वैराग्य, मानवप्रेम, सहानुभूति, सर्वभूतहितेच्छा आदि बहुविध अपार्थिव गुणों की वे सजीव मूर्ति ही थे। उनके पास से कोई भी रिक्त हृदय लेकर नहीं लौटता। उनके सान्निध्य में आने पर सबके मन-प्राण आनंद से परिपूर्ण हो जाते। उन्होंने स्वयं को अपने हृदयदेवता श्रीरामकृष्ण से इस प्रकार विलीन कर दिया था कि उनका पृथक् अस्तित्व ही नहीं रह गया था। वे सदैव अत्युच्च भगवद्भाव में विभोर रहते। उनमें देहबोध नाममात्र भी नहीं था। अपने असामान्य आध्यात्मिक व्यक्तित्व के कारण वे श्रीरामकृष्ण-संघ में ‘महापुरुष महाराज’ के नाम से प्रसिद्ध है। उनका यह नाम कितना सार्थक है यह उनकी जीवनी पढ़ने पर पाठक बड़ी सरलता से समझ जायेंगे।
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- AuthorSwami Shivatattwananda