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Dhyan Dharma Tatha Sadhana ( ध्यान, धर्म तथा साधना )

H093 Dhyan Dharma Tatha Sadhana (ध्यान, धर्म तथा साधना)

Non-returnable
Rs.20.00
Translator
Swami Vyomananda
Language
Hindi
Publisher
Ramakrishna Math, Nagpur
Binding
Paperback
Pages
166
ISBN
9789385858628
SKU
H093
Weight (In Kgs)
0.15
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Product Details
Specifications

प्रस्तुत पुस्तक ‘धर्मप्रसंगे स्वामी ब्रह्मानन्द’ नामक सुप्रसिद्ध बँगला पुस्तक का अनुवाद है। यह पुस्तक भगवान् श्रीरामकृष्णदेव के ‘मानसपुत्र’ स्वामी ब्रह्मानन्दजी के बहुमूल्य आध्यात्मिक उपदेश-निर्देशों का संकलन है। युगावतार के इन ‘मानसपुत्र’ का मन सदा अत्युच्च आध्यात्मिक भावभूमि पर विचरण किया करता था, साथ ही उनके सामान्य दैनन्दिन क्रिया-कलापों से भी उनकी अन्तर्निहित गम्भीर आध्यात्मिकता की ही अभिव्यक्ति प्रकट होती थी। समय समय पर उनके श्रीमुख से साधारण वार्तालाप के रूप में भी धर्म-जीवन की साधना एवं सिद्धि से सम्बन्धित अत्यन्त गूढ़-गहन तत्त्व प्रकट होते, जिन्हे सुनते हुए भक्त श्रोताओं का मन एक उच्च आध्यात्मिक धरातल पर आरूढ़ हो जाता। सरल, सुबोध भाषा में वर्णित उनके ये उपदेशादि साधकों के जीवन की अनेक जटिल समस्याओं को बड़ी आसानी से सुलझा देते थे और उनके मन में ईश्वरोपलब्धि की तीव्र आकांक्षा के साथ साथ साधन-भजन के प्रति प्रबल उत्साह भर देते थे। साधकों के लिए यह परम सौभाग्य की बात है कि कुछ साधु एवं भक्तों ने महाराजजी के कुछ अमूल्य वार्तालाप को सुनकर लिपिबद्ध कर रखा था, जिन्हें संकलित कर बाद में पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया। इस पुस्तक में महाराजजी के कुछ उपदेशपूर्ण पत्रों का भी समावेश किया गया एवं श्रीरामकृष्ण तथा स्वामी ब्रह्मानन्द प्रभृति उनके लीलासहचरों के दुर्लभ सत्संग के अधिकारी, भक्त साहित्यिक श्रीयुत देवेन्द्रनाथ बसु महाशय रचित ‘स्वामी ब्रह्मानन्द की संक्षिप्त जीवनी’ भी जोड़ दी गयी।

कहना न होगा, इस महत्त्वपूर्ण पुस्तक का हिन्दी संस्करण प्रकाशित होना अत्यन्त आवश्यक था। वैसे, ‘पत्रावली’ को छोड़कर लगभग शेष सभी भागों का अनुवाद कुछ वर्ष पूर्व, श्रीरामकृष्ण मिशन विवेकानन्द आश्रम, रायपुर से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका ‘विवेक-ज्योति’ में धारावाहिक रूप से आ चुका है। प्रभु की असीम कृपा से अब सम्पूर्ण पुस्तक का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित हो जाने से हिन्दीभाषी पाठकों का एक बड़ा अभाव दूर हुआ।

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