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स्वामीजी के तत्सम्बन्धी विभिन्न महत्त्वपूर्ण भाषणों एवं प्रवचनों का संकलन है जो उन्होंने भारतवर्ष, अमरीका तथा इंग्लैण्ड में दिये थे।लोगों की प्राय: धारणा यह होती है कि वेदान्त कोई ऐसा जटिल अथवा रहस्यपूर्ण विषय है जो साधारण मानवी बुद्धि से अगम्य है और जिसका हमारे प्रत्यक्ष जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं, परन्तु स्वामीजी ने अपने इन अधिकारपूर्ण भाषणों द्वारा दर्शा दिया है कि यह धारणा नितान्त भ्रमपूर्ण है। वेदान्त के स्वरूप को स्पष्ट करनेवाले गूढ़ सिद्धान्तों को सरल एवं सुग्राह्य रूप में हमारे सम्मुख प्रस्तुत कर स्वामीजी ने यह दिखा दिया है कि इनके द्वारा हमें किस प्रकार ऊपर उठने की प्रेरणा मिल सकती है तथा इन्हीं के सहारे हम अपने जीवन को किस प्रकार उच्चतम आदर्श के साँचे में ढाल सकते हैं। मानवी संस्कृति एवं सभ्यता पर वेदान्त का कितना गहरा और दूरगामी प्रभाव पड़ता रहा है, इसके विवेचन के द्वारा इन भाषणों में स्वामीजी ने यह भी भलीभाँति दर्शाया है कि व्यक्तिगत हित तथा समष्टिगत हित दोनों के लिए वेदान्त कितना उपयोगी है। इन भाषणों से हमें यह भी ज्ञात होता है कि वेदान्त द्वारा प्रतिपादित सत्य-सिद्धान्त एकांगी नहीं वरन् सार्वजनीन है और साथ ही वे शाश्वत स्वरूप के हैं। फलत: वे सभी व्यक्तियों को, चाहे वे किसी भी जाति, सम्प्रदाय अथवा राष्ट्र के और किसी भी युग में रहनेवाले क्यों न हों, आदर्श जीवन-निर्माण में अपूर्व सहायता प्रदान करते हैं।
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- AuthorSwami Vivekananda